अंकुरण
अंकुरण
बीज में निहित
अंकुरण की भावना भी, संभावना भी।
बूंद बूंद जलधार सींचती
धरती का आंचल
मंद पवन सहलाती नव
पल्लव कोमल
बीज में निहित
स्फुटन की वेदना भी, कामना भी।
नभ में रवि किरणों का
वितान तानता
गंगाजल भर कर मेह
घट छलकाता
बीज है मुदित
अनिवार्य प्रकृति की सद्भावना भी।
धरती से जुड़ता, पलता
अंबर की छाया में
नव जीवन, नव ऊर्जा भरता
पंचतत्व की काया में
बीज को विदित
परहित नियति भी, ईश वंदना भी।