स्मृति गलियारे
स्मृति गलियारे
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(मेमोरी लेन)
स्मृति के गलियारे कैसे हैं पंख पसारे,
झांकती जब झरोखों से दिल थे हारे।
कुछ खिलता-महकता अहसास पाती,
पलकों में सजे ख्वाब धुंधसी छा जाती।
फिसलते वक्त की यादें अभी ताजी हैं,
विगत के पन्नों को संजोने को राजी हैं।
भूल-भुलैया में अमृत, क्या गरल पिया?
जिसने जाना स्व को, जग है जीत लिया
अल्फाज भी चुक गये, रंग ही बदल गये,
तन्हा हो फिर से एक-दूजे के संग रह गये।
जिन्दगी बहुत कुछ कटु-मधु सिखा गयी,
अनुभव देके सरगम, साज की बता गयी।
जीना आ गया, गरल पीना सहज हो गया,
जीवन-सार ले विदा बेला, अमृत पा गया।