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meghna bhardwaj

Abstract

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meghna bhardwaj

Abstract

एक और दिन

एक और दिन

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एक और दिन चला ग

या

एक और दिन हिसाब लगाया मैंने

एक और दिन मैंने देखा

मैंने क्या खोया

क्या पाया

एक और दिन सब मुझसे ख़फ़ा थे

एक और दिन मुझसे मनाया नहीं गया

एक और दिन किसी को मेरी ख़बर नहीं हुई


एक और दिन सबके ज़हन से मैं भुला दी गयी

एक और दिन जब सब छोड़ गए

एक और दिन मैंने खुद को पा लिया

एक और दिन मेरा दिल नहीं लग रहा था


एक और दिन मैंने दिल लगा लिया 

एक और दिन जेबें ख़ाली थी

एक और दिन मैंने ख़्वाहिशों को बहला लिया

एक और दिन जब कोई नहीं समझ रहा था


एक और दिन मैंने खुदको समझा लिया।


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