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meghna bhardwaj

Abstract

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meghna bhardwaj

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एक बार फिर विवाद छिड़ेगा

एक बार फिर विवाद छिड़ेगा

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एक बार फिर विवाद छिड़ेगा

हिन्दू और मुस्लिम का

एक बार फिर मानवता जितनी चाहिए

एक ऐसा समाज बनाना चाहिए


एक बार फिर बूढ़े बाप की

लाठी टूटेगी

एक बार फिर बेटे को उसका सहारा बनना चाहिए

एक ऐसा समाज चाहिए।


एक दिन फिर रेप होगा

किसी बाप की बेटी का

एक दिन फिर ताला टूटना 

चाहिए संविधान की पेटी का

एक ऐसा समाज चाहिए।


एक बार फिर किसी नेता की जेब भरेगी

एक बार फिर

कोई गरीब भूखा ही सो जाएगा


एक बार फिर कोई नया वृद्धाश्रम खुलेगा

एक बार फिर कोई बेटा अपने माँ बाप को छोड़ने वहा आ जायेगा

एक बार फिर किसी की

कोई मजबूरी होंगी

एक बार फिर कोई उसका फायदा उठाएगा

एक बार फिर किसी नेता के यहाँ काला धन पाया जाएगा

एक बार फिर कानून अंधा हो जाएगा।


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