लड़ रहे सभी कुर्सी के लिए, हाथ, पैर, मुँह सब चल रहे आतंक, गरीबी, बेरोजगारी बात कोई मगर करता नहीं। लड़ रहे सभी कुर्सी के लिए, हाथ, पैर, मुँह सब चल रहे आतंक, गरीबी, बेरोजगारी बात ...
हुआ है ना शायद कभी होगा भक्तो बजाओ ताली सोचते क्या हो। हुआ है ना शायद कभी होगा भक्तो बजाओ ताली सोचते क्या हो।