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Abasaheb Mhaske

Tragedy

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Abasaheb Mhaske

Tragedy

बजावो ताली सोचते क्या हो

बजावो ताली सोचते क्या हो

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वो कह रहे साहब का दुनियाभर

 में बज रहा हैं डंका, चाहे अपनी

 कितनी भी क्यों न लगे लंका

देखो सकारात्मकता से अंधभक्तो


चाहे रोटी, कपड़ा, मकान ना भी हो

मत मांगो रोजगार, मत पूछो सवाल

वो कहे तो उठो वो कहे सोवो जी भरके

हम देनेवाले हैं, झोली फैलानेवाले नहीं


 काला धन भी आया हैं

अच्छे दिन भी आये हैं

अब तो खुश हो ना दोस्तों

विश्वगुरु भी बने गये हम


वो हैं तो सब कुछ मुमकिन

चाहे कुछ भी हो ऐसा कभी

हुआ है ना शायद कभी होगा

भक्तो बजाओ ताली सोचते क्या हो।


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