अनकही बातें
अनकही बातें
एक अरसे के बाद मिले हो.. कुछ तो कहो.. कैसे हो तुम
रहो न यूँ ख़ामोश हमकदम..जो है दिल में.. कह डालो तुम
मेरे बिना.. था कैसा गुज़रा..बीते दिनों का.. तुम्हारा मौसम
फिर मैं भी बतलाऊँ तुमको.. कैसे कटी थी.. तुम बिन रातें
मौसम ने भी बाँधा समा है.. बादल रिमझिम बरस रहे हैं
दिल भी ये बैचैन बहुत है..सुनने तेरी.. कही अनकही बातें
जी भर देखूँ तुमको प्रियतम.. कब से.. नैना तरस रहे थे
बिन बादल बरसात के जैसे.. ये भी जब तब बरस रहे थे
धड़कन बढ़ती जाती है दिल की.. हाथ ज़रा दिल पर रख दो
कर आलिंगन बद्ध मुझे तुम .. तपते दिल को.. राहत दे दो
मौसम का भी ये तक़ाज़ा है... भर लूँ बाहों में.. तुम्हें सजन
तेरे प्यार की बारिश से प्रियतम.. भिगो लूँ अपना तन बदन.