अनजान
अनजान
रिश्ते बोझ नहीं होते
हम मलीनता की परतों
से बोझिल बना देते हैं।
भाई भाई एक ही मां के
दो लाल तो होते हैं
पर स्वार्थ की चादर ओढ़कर,
अनजान हो जाते हैं।
रिश्ते बोझ नहीं होते
हम मलीनता की परतों
से बोझिल बना देते हैं।
भाई भाई एक ही मां के
दो लाल तो होते हैं
पर स्वार्थ की चादर ओढ़कर,
अनजान हो जाते हैं।