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JAYANTA TOPADAR

Romance

4.0  

JAYANTA TOPADAR

Romance

अल्फाज़...

अल्फाज़...

1 min
200


काश...दिल बोल पाता

हर धड़कन की खास अल्फाज़,

तो उन नायाब मौकों पर दर्द की हर दास्ताँ

कई मायनों में बन जाती एक अलग आवाज़...!


काश...बिन बोले ही दिल सुन पाता

हर गली-कूचे में दबी हुई

एक आम इंसान की वो खास बात,

जिसको 'मोहब्बत' नाम देते हैं लोग-बाग...!


काश...हर ख्वाब बन जाता हम इंसानों की वो अल्फाज़...

तो बिन माँगे ही पूरी हो जाती हम सबकी सच्ची मुराद...।


ये कौन-सी उलझन है दिल की

जो हर शाम ख्वाहिशों के मैखाने से

गुज़रकर

दबे पांव हर मुसाफिर की मंज़िल

बन जाती है पैमाना-ए-रहगुज़र...?


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