अकेली रात
अकेली रात
सुनी जो बातें तेरी
छोड़ मुझको जाने की,
मेरी तन्हाई पर एक
रौनक सी छा गई।
फूले न समा रही है
कि और एक शाम,
किसी के आशिक की
मेरे नाम आ गई।
तन्हाई हूँ न, मैनें तो
हरदम जिल्लत ही पाई,
भले ही सिर्फ मैं टूटे हुऐ
हर दिल के काम आई।
वफा जमाना सीखे तो
बताऊँ कि मैंने सम्हाला,
सौंप कर आगोश, जिसकी
भी अकेली रात आ गई।