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Mukesh Tihal

Action Classics Inspirational

4  

Mukesh Tihal

Action Classics Inspirational

अकेला चल

अकेला चल

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मैं हैरान हूँ लोगों ने क्या सोचा 

मेरा जीवन कैसे भी इसे जिऊँ

फिर क्यों दे रहे है वो मुझे चोट 

मेरी मंज़िल मेरे सफर से तय होगी


क्या लेंगे इसे पाने से वो रोक 

उन्हें दुःख लगा हो जाने किस बात का 

जो भी है मुझे मिला सब खेल नसीब का 

मैं तो अकेला चल सोच से हूँ काफिले में बढ़ गया 


दर्द भूल अपने मेरी तकलीफ़ से हो ख़ुश 

क्यों लगे हो तुम खुद को बहकाने में 

सदियां लग जायेंगी मुझे तड़पाने में 

मेरे मन से खेल तूने कोई किला फ़तेह नहीं किया 


नहीं शायद तूने ये धोखा है खुद को ही दिया 

वक्त आने पर कर लूंगा इसे भी विलीन

हर दर्द को दरकिनार कर 

अकेला चल सोच पर बल मैंने है दिया 


मैंने लाख गुनाह किये होंगे 

एक सबसे बड़ा जो संग तेरा किया 

जमाने की जब भी जिसने की है परवाह 

वो हमेशा दूसरों की ठोकरों में रहा पड़ा 

देते रहेंगे लोग अपनी जुबां से दर्द बहुत सारे 


मनाते रहना दुःख तड़पा देंगे जब तुम्हें नज़ारे 

मन को विरिक्त कर तू खुद में दे लगा 

अकेला चल सोच से होगा तेरा भला।


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