मन की बात
मन की बात
सतरंगी सपनों की ऊंची उड़ान बाकी है
हासिल करने कई और मुकाम बाकी हैं
दोस्त बनकर दुश्मन ने की जो दगाबाजी
नासूर बने अब तक वही निशान बाकी हैं
गिरकर फिर उठने का हौसला है कायम
हर हाल में हमारा ये स्वाभिमान बाकी है
कमतर कभी आंकने की जुर्रत न करना
पँखों में हमारे अभी बहुत जान बाकी है
अभी तो किया है रुख ये चाँद की तरफ
चंद्रयान सरीखे कई और यान बाकी हैं
सोने की चिड़िया कहलाते थे हम कभी
दिल में वो कसक वही अरमान बाकी हैं
हिमा सी उड़नपरियों में हौसले कम नहीं
उड़ने को उनके सारा आसमान बाकी है
जिनकी बदौलत आजाद घूमते आज हम
याद रखना हमको सारे बलिदान बाकी है
शहादत को उनकी कभी भूले न ये वतन
अमर शहीदों का हम पर एहसान बाकी है
दुनिया ने माना है हमारी विद्वता का लोहा
विश्वगुरु का अभी मिलना सम्मान बाकी है
लहराएगा तिरंगा सबसे ऊंचा एक दिन जो
देश को पुकारा जाना भारत महान बाकी है।