STORYMIRROR

Deepa Joshi Dhawan

Tragedy

4  

Deepa Joshi Dhawan

Tragedy

भारत भविष्य

भारत भविष्य

1 min
354

मेरे स्वर्णिम भारत का भविष्य क्या होगा

दीमक लगी है नींव में भविष्य क्या होगा


निर्दोषों का रक्तपान कर रही अराजकता

हो चुकी राजनीति के पतन की पराकाष्ठा

अर्थहीन आंदोलनों का भविष्य क्या होगा


प्राचीन कथाओं में नायक मात्र नायक था

स्वयं के चरित्र में ही रहता खलनायक था

नायक हुए खलनायक भविष्य क्या होगा


कोई कहता चलो रंग दें भारत को भगवा

कोई छोटी बातों पर निकालता है फ़तवा

इन्द्रधनुषी संस्कृति का भविष्य क्या होगा


परस्पर लगते निरर्थक, अनर्गल आरोप हैं

निम्नतम स्तर छूने हेतु आतुर प्रत्यारोप हैं

अल्पबुद्धि हाथ में नाव भविष्य क्या होगा


विवेकहीन छात्रवर्ग हुए संज्ञाशून्य समाज 

राजनीतिक दंगल के गढ़ शिक्षण संस्थान

रुग्ण हुई मानसिकता, भविष्य क्या होगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy