तेरे बिना
तेरे बिना


तेरे बिना ये सुंदर नज़ारा मुझे अधूरा लगता हैं
डुबते हुए सूरज की किरनें मुझे तीर जैसी लगती हैं।
तेरे बिना घर का आंगन मुझे सूनसान लगता हैं,
महकते-लहराते ये फूल मुझे मुरझायें हुए लगते हैं।
तेरे बिना ये चांदनी रात मुझे अंधेरी लगती हैं,
चमकते सितारों की महफिल मुझे वीरानी लगती हैं।
तेरे बिना ये दिल मेरा मुझे पत्थर जैसा लगता हैं,
मेरे सांसो की सरगम मुझे अब बेसूरी सी लगती हैं।
तेरे बिना मेरी "मुरली" मुझे रुठी हुई लगती हैं,
उसमें से निकलती मीठी तान मुझे करुण लगती है।