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Deepa Joshi Dhawan

Others

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Deepa Joshi Dhawan

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स्वर्णिम भारत

स्वर्णिम भारत

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मुझे प्रतीक्षा है कबसे उस दिन की जब

नमस्ते भी हो और वालेकुम सलाम भी

फ़ख्र से सीना चौड़ा कर कहें हम सभी

हिंदुस्तानी ही तो थे अब्दुल कलाम भी।


मातृभूमि भारत का वंदन गीत है मात्र

वंदेमातरम नहीं है हिन्दू या मुसलमान

नमन है उस प्राचीन संस्कृति को जहां

आरती के समकक्ष ही होती है अजान।


संसार में अपने अस्तित्व की चाह यदि

भारतवर्ष से हमें भेदभाव हटाना होगा

प्रत्येक गुरु बने रामकृष्ण परमहंस सा

हरेक छात्र को विवेकानंद बनाना होगा।



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