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निशान्त मिश्र

Inspirational

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निशान्त मिश्र

Inspirational

सीमाओं से आगे बढ़कर

सीमाओं से आगे बढ़कर

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सीमाओं से आगे बढ़कर

गढ़नी होंगी सीमाएं

शत्रु परिधि का वृत्त भेद कर

रचनी होंगी सीमाएं


दुग्ध ताल में रक्त थाल ले

(पुलवामा को दुग्ध उत्पादन के लिए जाना जाता है)

एक विषधर घुस आया है

मुरलीवाले की धरती में 

कालयवन फिर आया है


शीश कालिया दमन हेतु

जननी कान्हा तैयार करें

कालयवन का वध करने को

त्वरित करें हम गणनाएं


सीमाओं से आगे बढ़कर

गढ़नी होंगी सीमाएं

शत्रु परिधि का वृत्त भेद कर

रचनी होंगी सीमाएं

सीमाओं से आगे बढ़कर

गढ़नी होंगी सीमाएं


मंदबुद्धि, अनभिज्ञ, कुपोषित

भीरु शत्रु ये सोच रहा

रक्त बहाकर सेनानी का

खंडित की हैं आशाएं


भान नहीं उस भ्रमित मूर्ख को

वीरों के बलिदानों से

वध वृत्तासुर वज्र दंड 

गढ़ने को दधीचि बनाए हैं


अब लंका के ध्वंस हेतु

फिर रामसेतु निर्माण करें

अपहृत लाज राष्ट्र गौरव की

पुनः सुशोभित कर लाएं


सीमाओं से आगे बढ़कर

गढ़नी होंगी सीमाएं

शत्रु परिधि का वृत्त भेद कर

रचनी होंगी सीमाएं

सीमाओं से आगे बढ़कर

गढ़नी होंगी सीमाएं


विनय, विचार, विमर्श, तर्क

मानव तक ही सीमित रखें

असुरों के संहार हेतु

बस अस्त्रों का संधान करें


शत्रु शीश में अग्नि पिरो कर

बुननी होंगी मालाएँ

शत्रु रक्त की स्याही से ही

लिखनी होंगी कविताएं


सीमाओं से आगे बढ़कर

गढ़नी होंगी सीमाएं

शत्रु परिधि का वृत्त भेद कर

रचनी होंगी सीमाएं

सीमाओं से आगे बढ़कर

गढ़नी होंगी सीमाएं


.....निशान्त मिश्र




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