वतन पे मेरे
वतन पे मेरे
वतन पे मेरे जिस दिन जरा भी आँच आएगी
मेरे बदन की हर एक सांस वतन के काम आएगी
आन से ज्यादा नहीं है कीमत इस जिस्मों जान की
जब दुश्मन सर उठाएगा उसकी अर्थी वहीं उठ जाएगी
इतना सस्ता नही है खून मेरे वतन के सिपाही का
करोड़ो बहनों का भाई है जो पूत है लाखों माई का
जिस दिन बदन पे सैनिक के जरा भी खरोंच आएगी
जब दुश्मन सर उठाएगा उसकी अर्थी वहीं उठ जाएगी
नहीं है सीखा हटना पीछे हम आगे बढ़ते ही जाते
जब हमारी धरती पे किसी के नापाक कदम पड़ जाते
उनको मार भगाने में खून की नदियां बहा दी जाएगी
जब दुश्मन सर उठाएगा उसकी अर्थी वहीं उठ जाएगी
बारूद हमारा बिस्तर है हम बमों पे सर रख कर सोते हैं
आहट सी इतनी होती है हम झट उठकर खड़े होते है
हर गोली बंदूक की दुश्मन के सीने तक जाएगी
जब दुश्मन सर उठाएगा उसकी अर्थी वहीं उठ जाएगी।