तुम यूं ही रोते रहना
तुम यूं ही रोते रहना
जिन्हें जागना, जाग चुके
तुम यूं ही सोते रहना
सपनों में खोते रहना
बीती पर रोते रहना
आंसू को धोते रहना
ज़ख्मों को ढोते रहना
पीड़ा को पोते रहना
कांटों को बोते रहना
जिन्हें जागना, जाग चुके
जिन्हें संभलना, संभल गए
तुम यूं ही भटके रहना
खुद में ही अटके रहना
दुनिया से कट के रहना
आशा में लटके रहना
टुकड़ों में बंट के रहना
व्यसनों में संट के रहना
लोगों को खटके रहना
खुशियों को झटके रहना
अवसर से हट के रहना
जिन्हें संभलना, संभल गए
जिन्हें निखरना, निखर चले
तुम यूं ही ढलते रहना
चिंता में गलते रहना
हाथों को मलते रहना
टुकड़ों पर पलते रहना
सुस्ती से चलते रहना
खुद को ही छलते रहना
दर्प कुपित जलते रहना
जिन्हें निखरना, निखर चले