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Vikram Kumar

Action

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Vikram Kumar

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भारत के जर्रे जर्रे में

भारत के जर्रे जर्रे में

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भारत के जर्रे जर्रे में बसी है जिनकी याद

आज आजादी के लगभग कई दशकों के बाद

अब सच्ची सी लगती है पुनर्जन्म की बात मुझे

देश की सीमा पर खड़ा भगत बिस्मिल आजाद


सुकून के उजालों उद्विग्नता के गहरे कूप में

सर्दी में बरसात में और कडा़के की धूप में

वे प्रफुल्ल खुदीराम जी अभी भी जीवित हैं

देश की सरहद पर डटे जवानों के रुप में


देश पर जान लुटाने वालों का नाम सदा आबाद रहे

हमारा हर सिंह बने भगत और पंडित आजाद रहे

वंदे मातरम हो हर दिल में मंत्र सदा सत्यमेव बने

हर गुरु हो राजगुरु जैसा और हर देव सुखदेव बने


गगन को चूमे सदा तिरंगा धरा का धानी परिधान रहे

सांगा प्रताप शिवाजी कुंवर सा देश का स्वाभिमान रहे

उस भारत में इस भारत में कुछ भी न अंतर निकले

हर गुरु हमारा हो गोविंद विद्यार्थी गणेश शंकर निकले


हिन्द देश की पहरेदारी फिर से चौबंद चाक बने

वो बिठूर का नाना साहब फिर भारत मां की नाक बने

नासिक में तात्या फिर जन्में काशी से मन्मनाथ आए

शाहजहांपुर का हर बालक फिर रोशन अश्फाक बने


हम नहीं भूल सकते कभी उस आजादी की बात को

हम नहीं भूल सकते मंगल को वीर राजेन्द्र नाथ को

हम नहीं भूल सकते उस दुर्गा सी लक्ष्मी बाई को

एक सूत्र में हिन्द को लाने वाले बल्लभभाई को


भारत भूमि पर इन वीरों की गाथा का अमिट निशान पड़ा

हर सेनानी फौजी बनके है जीवित हमारे बीच खड़ा।


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