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Vikram Kumar

Abstract

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Vikram Kumar

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इस पल में

इस पल में

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नहीं जग की बुराई का,कोई आभास इस पल में

बहती स्नेह की धारा, बसा विश्वास इस पल में

इस पल की सुंदरता का है वर्णन बड़ा मुश्किल

है सबसे अलग ये पल, है कुछ तो खास इस पल में!


लगता है छुपी जैसे , बड़ी सौगात इस पल में

हैं कुर्बान लाखों दिन, लाखों रात इस पल में

इस पल में जो पाया है , कभी न भूल पाएंगे

बड़ा अनमोल है ये, है कुछ तो बात इस पल में!


हमारी सारी खुशियों का बसा आधार इस पल में

जो वीराने से लगते थे, हुए गुलजार इस पल में

इस पल के लिए इतना ही कहना चाहते हैं हम

कि पूरे जग में न होगा, है जितना प्यार इस पल में!



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