नहीं
नहीं
अब जग में है अमन का वो पैगाम नहीं
नई सुबह और खुशियों वाली शाम नहीं
सब भाग-दौड़ में और तनाव में पडे़ हुए
किसी को भी एक पल का भी आराम नहीं
स्वार्थ की छाया सबके मन पर हावी है
दया भाव का होंठों पर अब नाम नहीं
बात सही है कि,आगाज होता अच्छा
तो बुरा कभी भी होता है अंजाम नहीं
बेकार हुआ है दुनिया में जीना उनका
जो आ पाए हैं किसी के काम नहीं
राह कठिन है संभल-संभल कर के चलना
कहीं भी गिरके हो जाना बदनाम नहीं
मोल भले दौलत का होगा दुनिया में
पर विद्या का कहीं भी कोई दाम नहीं।