तीन मुक्तक राखी के
तीन मुक्तक राखी के
हर आधार बसता है तेरी राखी के धागे में
सारा प्यार बसता है तेरी राखी के धागे में
इससे बढ़के न मेरी कोई सौगात दुनिया में
मेरा संसार बसता है तेरी राखी के धागे में
उंचा तेरी ख्वाबों का, सदा परवाज रखूंगा
तेरे स्नेह को जीवन का, अपने नाज रखूंगा
सलोनी राखी के त्यौहार पर है मेरा ये वादा
तेरी राखी के धागों का, सदा मैं लाज रखूंगा
तू रौनक है घर का, और अभिमान है बहना
हमेशा से मेरा एक ही यही,
ऐलान है बहनाउदासी तेरे चेहरे पर कभी,
आने न मैं दूंगा मेरी जान से बढ़कर, तेरी मुस्कान है बहना।
