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Vikram Kumar

Romance

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Vikram Kumar

Romance

धड़कन में बसती हो

धड़कन में बसती हो

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सदा सर आंखों पर अपने, तेरे अरमान रखूंगा

दूंगा दिल तुम्हें अपना , तुम्हीं में जान रखूंगा

अगर जो जानती न हो तो तुम जान लो इतना 

हमेशा खुद से भी ज्यादा तुम्हारा ध्यान रखूंगा!


ये मुस्कान चेहरे की कभी खोने नहीं दूंगा

दुख या गम कोई तुमको कभी होने नहीं दूंगा

तुम्हारे आंसू लेकर मैं हंसीं अपनी तुम्हे दूंगा

खुद रो लूंगा पर तुमको कभी रोने नहीं दूंगा!


ले के रुप खुशियों का मेरे जीवन में बसती हो

बसी रग-रग में हो मेरी, मेरे तन-मन में बसती हो

तुम्हारे बिन मैं जीने का , कभी न सोच सकता हूं

तुमसे जान है मुझमें तुम्हीं धड़कन में बसती हो!



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