अपना शीश कटा दूंगा
अपना शीश कटा दूंगा
एक बार मुझे इशारा कर दो, दुश्मन को धूल चटा दूंगा।
एक के बदले सो मारूंगा, या अपना शीश कटा दूंगा।
मत बांधो तुम हाथ मेरे, इन कानूनी जंजीरों से।
अपना कश्मीर में ले आऊंगा, सरहद की दूर लकीरों से।
बस एक बार मुझे जाने दो, मसला सब निपटा दूंगा।
एक के बदले सो मारूंगा, या अपना शीश कटा दूंगा।
मेरे अपने ही मेरे देश मे, क्यों डर डर कर जीते है।
हर दिन शहीद हुए है सैनिक, दुश्मन लहुँ क्यों पीते है।
उन गद्दारों के लहुँ से होली, खेल तुम्हे दिखला दूंगा।
एक के बदले सो मारूंगा, या अपना शीश कटा दूंगा।
भाई चारे का हाथ बढ़ाकर, कमजोर हम कहलाते है।
आष्तिन में शांप ना पालो, ये मौके पर खा जाते है।
जो भी इसको दूध पिलाते, मैं आष्तिन ही जला दूंगा।
एक के बदले सो मारूंगा, या अपना शीश कटा दूंगा।
बांहें मेरी फड़क रही है, गोली खून की प्यासी है।
मेरे देश की हर गलियों में, छाई हुई उदासी है।
हुक्म करो या हम पर छोड़ो, छठी का दूध याद दिला दूंगा।
एक के बदले सौ काटूंगा, या अपना शीश कटा दूंगा।