मुझे अपनी ही तलाश हैं
मुझे अपनी ही तलाश हैं
एक सुकून ढूंढने चला था मैं
अब खुद को खोया फिर रहा हूं
चलना तो सीखा था पहले ही पर
अब कुछ लड़खड़ाते हुए गिर रहा हूं
अब कुछ हाथ में नहीं है अपने
यह उलझन है जो उलझती जा रही है
कौन कहे कि जिंदगी सुलझ जाए
ये तो और सुलगती जा रही है
अपने आप को खो चुका हूं
अब रास्ते ही अब रास्ते ही पता नहीं
किससे कहूँ कोई सुनता ही नहीं
तो कोई कुछ भी कहता ही नहीं
सोचता हूँ काश फिर से वैसा ही
एक नादान सा बच्चा बन जाऊँ
समझदार है को छोड़कर
उम्र में थोड़ा कच्चा बन जाऊं
अब ना सुकून की तलाश है
ना ही किसी से कुछ आस है
जो खोया हुआ है वही मिल जाए
बस मुझे अपनी ही तलाश है
