सैनिक....
सैनिक....
सूर्य की किरणों में,
वो लहराती फसलों में,
सर्दी की वो ठंडी हवाओं में
बारिश की वो बूंदों में,
यादें पीछे छोड़ चला मैं,
मिट्टी की रक्षा में।
दीवार पे टंगी तस्वीरों में,
माँ की प्यारी मार में,
पिता की वो प्यारी फटकार में,
यादें पीछे छोड़ चला मैं,
मिट्टी की रक्षा में।
सरहद पर लिखे वो पत्र में,
बहन की वो प्यारी राखी में
भाई को दिए वो तोहफों में
यादें पीछे छोड़ चला मैं,
मिट्टी की रक्षा में।
लौटा हूँ तिरंगे में लिपटा मैं,
धरती माँ के गोद में,
यादें पीछे छोड़ चला मैं,
मिट्टी के लिए मिट्टी में मिल गया मैं।
