अभिनंदन का अभिनंदन
अभिनंदन का अभिनंदन
अमर भूमि भारत माता के लाल तुम्हें शत वंदन हो।
हम करें आज करबद्ध तुम्हारा, अभिनंदन-अभिनंदन हो।
गाये विश्व तुम्हारी कीर्ति और अमिट यश चंदन हो।
हम करें आज करबद्ध तुम्हारा, अभिनंदन-अभिनंदन हो।
अद्भुत पौरुष तेज अलौकिक और अतुल बलधारी हो।
रण में लगते रिपु समक्ष तुम स्वयं रूद्र भयकारी हो।
पल भर में दुश्मन दल को भारत का शौर्य दिखाया है।
गीदड़ के समूह को शेरों का लोहा मनवाया है।
देख तुम्हारे कृत्य सदा प्रेरित भारत का जन-जन हो।
हम करें आज करबद्ध तुम्हारा, अभिनंदन-अभिनंदन हो।
तुमने अपने करतब से दुश्मन का होश उड़ाया है।
पाक भूमि पर भारत माता का जयघोष सुनाया है।
सिंहनाद कर तुमने जो साहस अदम्य दिखलाया है।
सत्यमेव जयते का अद्भुत पाठ उन्हें सिखलाया है।
पवन वेग से भरो उड़ाने तुम्हें न कोई बंधन हो।
हम करें आज करबद्ध तुम्हारा, अभिनंदन-अभिनंदन हो।
आज तुम्हारे पुनः आगमन पर स्वर्णिम क्षण आया है।
भारत माता ने अपने इस वीर पुत्र को पाया है।
हम सब खड़े शीश नत तुमको तुम इसके अधिकारी हो।
राष्ट्रभक्त रण, कला निपुण तुम दुश्मन के प्रतिकारी हो।
स्वास्थ्य लाभ अक्षय यश कीर्ति और प्रफुल्लित तन-मन हो।
अभिनंदन हो…! अभिनंदन हो…! हे अभिनंदन, अभिनंदन हो...!