Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vikram Vishwakarma

Others

4  

Vikram Vishwakarma

Others

ईश्वर का संदेश

ईश्वर का संदेश

1 min
321



हे मनुज दर दर भटकता, ढूँढता मुझको कहाँ।

ढूंढ़ ले मुझको हृदय में, पायेगा तू हर जहाँ।।


रहता न मैं ऊँचे महल में, न घर मेरा आसमान है।

हृदय रूपी मंदिरों में, भक्त मेरा स्थान है।।


फूल फल और इत्र सारे, ये बड़े ही दाम के।

क्या करूँगा मैं इन्हें, ये क्या है मेरे काम के।।


भक्ती रूपी लहर से, श्रद्धा की निकली धार है।

वही मेरे फूल फल, और वही मेरे हार हैं।।


इंसानियत की राह पर, जब ज़िन्दगी में तू चलेगा।

सत्य, प्रेमी, परोपकारी, वाणी से शीतल बनेगा।।


अपनी अंतरात्मा में, झाँक ले मुझको तभी।

सत्य की हर मोड़ पर, तू पायेगा मुझको सदा।।


जन्म तू पाया है मानव का, बड़े सौभाग्य से।

मत खोज तू कुछ और, बस शोभा है इसकी ज्ञान से।।


निःस्वार्थ हो जीवन में अपने, कार्य कुछ ऐसा तू कर।

चर्चा हो तेरी अमर, जब तू जाये इस संसार से।।


मत मान खुद को दीन तू, बस ध्येय अपना ठान ले।

तू हिमालय सा अडिग हो, और लक्ष्य को पहचान ले।।


है देह नहीं तू मिट्टी का, इस बात को तू जान ले।

तू अंश है उस ब्रह्म का, तू ब्रह्म को पहचान ले।।



Rate this content
Log in