नारी
नारी
कोमल है कमजोर नही है, जग की जननी नारी है,
ये ही सृष्टचक्र चलाती, मृत्यु इससे हारी है।
बेटी घर का मान बढ़ाती, पत्नी कुल में फूल खिलाती,
दानेदाने जोड जोड़ कर, वह गृहलक्ष्मी कहलाती।
चुप रहकर सारे दुख सहती, चंडी बन संकट हर लेती,
केवल निज परिवार के खातिर सारी विपदा सिर पर लेती।
ये ही तुलसी, राधा, मीरा, ये ही गंगा, सीता है,
ये ही अनुसूया ये लक्ष्मी पावन भगवद्गीता है।
कन्या को घर में आने दो, कन्या का सम्मान करो,
कन्या ही भारत माता है, उसका मत अपमान करो।
अलग अलग रूपों में वर्णित इसकी महिमा न्यारी है,
कोमल है कमजोर नही है, जग की जननी नारी है।