स्वतंत्रता दिवस के निमित्त
स्वतंत्रता दिवस के निमित्त
भारत माता के चरणों में इक बार नहीं सौ बार नमन,
है इसके हित जीवन अर्पण इक बार नहीं सौ बार नमन।
भारत की अनुपमता को सारी दुनिया ने स्वीकारा है,
प्रकृति के रंगों से शोभित प्यारा यह देश हमारा है।
भारत का हर कोना कोना ईश्वर ने खूब सजाया है,
अनुपम अगणित रंगों से धरती पर ही स्वर्ग बनाया है।
फल फूल रहें बोली भाषा बहु धर्म पंथ संस्कृति जीवन,
भारत माता के चरणों में इक बार नहीं सौ बार नमन।
यह खड़ा हिमालय अचल साक्षी युग युग की प्रथा सुनाता है,
भारत की पावन पुण्य मई अतुलित यश कथा सुनाता है।
उन राज गुरु, सुखदेव, भगत सिंग, चंद्रशेखर बलिदानी की,
बापू, सुभाष, टैगोर, तिलक चौड़ी पटेल के छाती की।
इन भारत मां के पुत्रों का यश गाते रहते भूमि गगन,
भारत माता के चरणों में इक बार नहीं सौ बार नमन।
सैंतालीस में आखिर जा कर हमने स्वतंत्रता पाई है,
जिसके खातिर अगणित वीरों ने अपनी जान गवाई है।
उस स्वतंत्रता संग्राम यज्ञ को आखिर पूरा न्याय मिला,
भारत के काया कल्प युगों का वहीं शुरू अध्याय हुआ।
पढ़ श्रवण इन्हीं इतिहास को हो जाते कान निहाल नयन,
भारत माता के चरणों में इक बार नहीं सौ बार नमन।
संकल्प हमारा सदा यही हम मातृभूमि अनुरागी हों,
शिक्षित सक्षम हो बुद्धिमान हों ज्ञानी और विज्ञानी हों,
कभी झुके ना शीश हमारे पुरखों वीर महानों के।
दशों दिशाएँ यश गाए भारत के वीर जवानों के,
अमृत से भी पावन है भारत की मिट्टी का हर कण कण,
भारत माता के चरणों में इक बार नहीं सौ बार
