STORYMIRROR

Rani Soni

Others

4  

Rani Soni

Others

दरवाजा

दरवाजा

1 min
265

बंद दरवाज़े के पीछे,तड़पती है 

माँ की सिसकियां बहन की हिचकियाँ।


बड़े बड़े पँखो पर लटके है

मर्यादाओं के ताले,

ओर हर रोज़ मिल रहें हैं

उधार के निवाले।

अश्क़ छुपाती है दीवारों की खिड़कियां।

बंद दरवाज़े के पीछे,तड़पती है 

माँ की सिसकियां बहन की हिचकियाँ।


पतीले के उफनते दूध जैसे

पल भर में फैल जाते हैं।

तुम्हारे दिए ज़ख्म छुपाने को,

मरहम से मुस्कुराते है।

ग़ुलाब की उपमा लिए

सिली हुई है अधरों की पंखुड़ियां।

बंद दरवाज़े के पीछे,तड़पती है 

माँ की सिसकियां बहन की हिचकियाँ।


मैं लक्ष्मी हूँ, सरस्वती हूँ,

फिर ये घबराहट कैसी।

जरा झांक उम्मीद के झरोखे से

देख ये आहट कैसी।

देने को आई प्यार तुझे

कुछ इठलाती थपकियाँ।

बंद दरवाज़े के पीछे,तड़पती है 

माँ की सिसकियां बहन की हिचकियाँ।


नदियां सूख गई तो

सब प्यास से मर जायेंगे।

नारी जो रूठ गई तो

गीत,ग़ज़ल,शायरी कैसे गुनगुनायेंगे।

कौन गोद में सुलाकर

देगा प्यार की झपकियां।

बंद दरवाज़े के पीछे,तड़पती है 

माँ की सिसकियां बहन की हिचकियां।


Rate this content
Log in