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Dheeraj kumar shukla darsh

Action

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Dheeraj kumar shukla darsh

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मेवाड़ केसरी

मेवाड़ केसरी

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चाल्यो महाराणा प्रताप, लेक हाथ म तलवार

हो क चेटक प सवार, करबा मुगला रो संहार

चेटक दौड़ रह्यो ऐसे, तूफां आयो हो जैसे

चमक रही राणा री तलवार, कर रही वार पर वार


भालों लाग रह्यो ऐसे, शिव को त्रिशूल हो जैसे

करणे असुरा रो संहार, जैसे विष्णु लियो अवतार

काट रह्यो शीश ऐसे, सुदर्शन चाल रह्यो जैसे

कर रही सेणा चित्कार, देख राणा रो प्रहार


मचा दियो रे हाहाकार, राणो मेवाड़ी सरदार

मानसिंह नाम रे थारो, कर दियो भाला रो प्रहार

ओदो टूट गयो थारो, छूप गयो रे मुगल सरदार

कान रे पास सू गुजरयो भालो, महावत गयो स्वर्ग सिधार


जान को संकट देख राणा पे, अज्जा ने लियो सिर धार

मेवाड़ केसरी न भेज्यो, अज्जा युद्ध से बाहर

जाणे स पहले लेकिन, बहलोल को करयो संहार

एक वार स काट दियो, दोनों अश्व और सवार


पकड़ रामप्रसाद न ले गया, मुगल अकबर रे दरबार

प्राण त्याग दियो इसनें, अन्न न खायो एक बार

मेवाड़ केसरी रे आगे, हार गयो अकबर सम्राट।


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