अजनबी
अजनबी
ऐ अजनबी !
जरा बताओ
क्या इरादा है तुम्हारा,
कांच सी चुभती हूं,
आहिस्ता कदम रखना
हमारा कोई नही
तो मुझमें क्या है तुम्हारा।
मुझे जज(विचारक) करने वाले,
तुम कौन होते हो,
मुसाफिर हो तुम,
ठहराव ढूंढते हो,
मुझे छूकर तुम,
मेरा घाव ढूंढते हो,
मेरे शहर से जुड़ा,
क्या नाता है तुम्हारा।
तुम भी फरामोश हो,
पल में छोड़ जाओगे,
पानी में कंकड़ मार,
हाला कर जाओगे,
अरमान सजाकर,
चूर कर जाओगे,
कहो आखिर क्या,
इरादा है तुम्हारा।
