अजीब दुनिया
अजीब दुनिया
कोई हार के जीता है !
और कोई हरा के जीता है !
ये ऐसी दुनिया है यहाँ,
हर कोई किसी को मार के जीता है !
इंसानियत मरती है रोज़,
कोई बड़े ताव से खून पीता है !
बहुत सारे मुखौटे हैं लोगों के,
नहीं कोई राम है और न ही कोई सीता है !
अगर लोग समझे सब धर्म एक है,
तो जितनी बड़ी क़ुरान है तो उतनी ही बड़ी गीता है !
और जो अपना है वह समझता है सब,
ये रिश्तो का बंधन है, नहीं कोई फीता है !
जरूरी नहीं की सब तुमसे खुश रहे,
वरना लोगो का सारा वक़्त इसी में बीता है ! !
