अजीब दास्तां है जिंदगी की
अजीब दास्तां है जिंदगी की
अजीब दास्तां है जिंदगी की
रोने को मन करे फिर भी मुस्कराते हैँ
हम ख़ुश हैँ ये सबको बताते हैं
अंदर ही अंदर टूट से गए हैं
फिर भी महफिलों में थट्टे लगाते हैं
है मंजर कुछ ऐसा जिंदगी का
हजारों की भीड़ में, खुद को अकेला पाते हैं
ये जिंदगी के फंडे कुछ समझ नहीं आते हैं......
ये जिंदगी के फंडे कुछ समझ नहीं आते हैं........
हैं लाख बुराइयाँ मुझमें शायद
क्या बो लोग अच्छे हैं जो हमको बुरा बताते हैं
हर जगह ताने मिले हमें
और गलतियों को हमारी सरहाते हैं
कभी झांको अपनें जीवन में भी
बुराईयां हर जगह नजर आती हैं
अच्छा तो सबको अच्छा लगता हैं
अपनें तो बो होते हैं
जो बुराइयाँ भी अपनाते हैं
ये जिंदगी के फंडे कुछ समझ नहीं आते हैं.......
ये जिंदगी के फंडे कुछ समझ नहीं आते हैं........
की लाख कोशिसे हमने भी
कर सके ख़ुश सबको यहाँ
अगर गला घोंट भी दे अपनी खुशियों का
फिर भी आशाएं पूरी नहीं कर पाते हैं
ये जिंदगी के फंडे कुछ समझ नहीं पाते हैं.....
ये जिंदगी के फंडे कुछ समझ नहीं पाते हैं.....