ऐ हवा
ऐ हवा
ऐ हवा हो सके तो मेरे दर से गुजर जाना,
उनकी यादों को अपने संग बहा लेकर जाना,
उनकी यादों से दिल मेरा कितना महकता है,
कभी हौले से जाकर उन्हें तू सुना जाना।
ऐ मदमाती बहारों हो सकें तो उन्हें कह देना,
चाहत की किताब गुलाबों संग तुम दे देना,
किताबों बीच मुरझाने लगे हैं उनके गुलाब,
पत्ता पत्ता सा बिखरा है मन तुम बता देना।
ऐ सुहानी शाम मत जा तू गगन के आगोश में,
ठहर भी जा कुछ देर मेरे घर ओ दीवार में,
तन्हा दिल मेरा आज इस कदर रोया है उन बिन
रातें अक्सर रूला देती है जब आते हैं वो सपने में।
ऐ चाँद हो सके तो मेरे चाँद से मिलकर आना,
बेजान हो रही चाहत तुम्हारी बताकर आना,
रूह का दर्द अब वो कैसे सहे तुम बिन...
मेरे चाँद से मिलने की तारिख मुकर्रर कर के आना।।