अहसास घर कर गए
अहसास घर कर गए
तुम बिछड़ कर यूँ गए
अहसास घर कर गए
आँखों में कमी रह गई
लबों पे प्यास भर गए।
मेरी अधूरी धड़कनों में
वीरानियाँ सी भर गए
हर आहट में खोजा तुमको
तुम इस तरह, राह गुज़र गए।
तुम बिछड़ कर यूँ गए
अहसास घर कर गए
माना कभी मुकम्मल थे नहीं
लगा अब पूरा मुझे कर गए
प्यार अधूरा था गम बिना
लो आज वो भी भर गए।
मुझे क्या पता था ये तन्हाई
एक दिन मार डालेगी मुझे
मैंने मर कर भी देखा जब
तुम तो रूह में भी उतर गए।
तुम बिछड़ कर यूँ गए
अहसास घर कर गए।