SANDIP SINGH

Classics

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SANDIP SINGH

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अब नहीं मिलता

अब नहीं मिलता

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मित्रों में भी वह याराना अब नहीं मिलता,

सच्ची बातों का भी नज़राना अब नहीं मिलता।


पलपल रंग बदलते जनाब बहुत हैं,

ऐसे में वह विश्वास भला अब नहीं मिलता।


बजारों में दुकानों की कतार लगी है,

पर असली माल वाला अब नहीं मिलता।


फ़िजा भी आजकल उदास रहती है,

फिज़ाओं में भी वह बहार भरा अब नहीं मिलता।


युवाओं ने जैसे मद का रंग चढ़ा रखा हो,

अदब की खुशबू कला अब नहीं मिलता।


मुहब्बत करने वाली लैला बहुत हैं,

पर इन लैलाओं में वफ़ा अब नहीं मिलता।


पिक्चर तो अभी भी बहुत बनते हैं,

पर पिक्चरों में वह मज़ा अब नहीं मिलता।


फरेब करने वाले जगह_जगह हैं,

ज्यादा ईमान वाला अब नहीं मिलता।

         

परिश्रम में संदीप बहुत ही सकून और खुशी है,

परिश्रमी को असफलता अब नहीं मिलता।


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