अब क्या?
अब क्या?
चाहिए था तुझे भी सुकून
चाहिए था मुझे भी सुकून
फ़िर इन सुकून के पल से
अब तेरा घबराना कैसा?
की गलतियां तुमने भी
की गलतियां हमने भी
फ़िर इस गलती मान लेने से
अब तेरा शर्माना कैसा?
वो धरती तेरी भी थी
वो धरती मेरी भी थी
जो बर्बाद कर चले थे
अब तेरा हक जताना कैसा?
मर मिट जाने की ख्वाहिश
मिट्टी में सिमट जाने की ख्वाहिश
पर अपने लिए ही इसे बख्श देते
ना समझे तू दीवाना कैसा?
कुछ दिन रह जा घर में
कुछ दिन थम जा घर में
आने वाले कल का क्या भरोसा
फ़िर मिले ना मिले ठिकाना ऐसा?