अब ख्वाबों में हमें सताने कौन
अब ख्वाबों में हमें सताने कौन
अब ख्वाबों में हमें सताने कौन आता है।
देखो तो दुखती रग दबाने कौन आता है।।
सिखाए थे माँ ने गुर जीने का सलीका भी
जमाने के स्याह पैकर हमें सिखाने कौन आता है।।
गया वह मखमली बचपन जवानी के थपेडे अब
रूठो तो बला उनकी अब रूठे को मनाने कौन आता है।।
मिले फ़ुर्सत तो आ जाना गमों के जख्म सहलाने,
दरकी भीत प्रखर जी यँह उठाने कौन आता है।।
जरा सा मुस्कराया क्या बरसे झूमकर सखी री!वो,
विरह की आग जब जलती बुझाने कौन आता है।।
जब तक ज़िंदगी साँसें धडकती मीत अन्तर में
तब तक सब्र की बातें बताने कौन आता है।।
जब तक ज़िंदगी साँसें धडकती मीत अन्तर में
तब तक सब्र 'की बातें बताने कौन आता है।।
उनकी बज्म में जाकर इक ज़िंदगी जी लिए सच में
तुम्हारे बिन जीवन में ठिकाने कौन लाता है।
