अब बात कहाँ होती है ...
अब बात कहाँ होती है ...
कभी बांहों में होते थे हमारे ,
अब हमें पहचान कहाँ पाते हैं।
हर लफ़्ज़ उनके अब हमें याद आते हैं
अब वो यूं ही बेवजह मुलाकात कहाँ होती है।
अब बात कहाँ होती है....
उनके होने से मुस्कुराते थे हम,
उनके पास होने से खुद में को जाते थे हम
सपनों से सजी एक दुनिया होती थी
याद आती है अब वो साँसें उनकी,
वो करीब आना वो गले से लगाना,
वो घर जाते वक्त हाथ चूम जाना ,
उन लम्हों से अब मुलाकात कहाँ होती है,
अब बात कहाँ होती है .......
वो नीली छोटी आंखें
बालों का सुनहरा रंग
वो गुलाबी से होंठ जो पल बिखेरा करते थे
कैसे भूल जाए वो चेहरा जिस पे हम मारा करते थे
खयालों में उनके रात कहाँ होती है
हाल कैसे पूछे उनका
अब बात कहाँ होती है......