यादें 2.0
यादें 2.0
ख्यालों में आते वो सपने कहां है ,
होंठों की वो हंसी खो गयी है ,
समझ ना आता की ऐसी ही दुनिया
या इस दुनिया में हम ही नहीं हैं।
ढूंढता था जो चेहरा मै पल पल दोबारा
देखने उसे अब आँखें तरस गयी है
माना की देश की वीर थी तुम
माना गुड़िया नहीं अग्निवीर थी तुम
शहीदी से पहले क्या याद मै ना आया
क्या भूल गए मुझको , क्यों हमको यूँ तोड़ा,
मजबूत था मै अब मजबूर सा
ख्यालों में तेरे मै अब ग़ुम सा हूँ,
केहती थी तुम की जल्दी घर आउंगी ,
वो गलियां क्यों सुनी
क्यों खाली वो सेहर वाली बस है
लाखों में अब भी तुम्हें ढूंढता हूँ ,
नजाने क्यूँ मुस्कुराता , नजाने क्या सोचता हूँ
नजाने क्यूँ आँखों में पानी सा रहता है ,
नजाने क्यूँ हर पल अब चुप सा रहता है
नजाने क्यूँ हर पल अब चुप सा रहता है ,,,,,
