आशीष
आशीष
हे सुत तुझको
है सदा मेरा
यही आशीष।
दया दृष्टि तुझ पर रखें
सदा परमात्मा
जगदीश मनीष।
बढ़ेगा देश -विदेश में
तेरे कुल का मान।
पढ़-लिखकर जो बन जाएगा
तू पुत्र मेरे, वागीश।
हे सुत तुझको
है सदा मेरा
यही आशीष।
दया दृष्टि तुझ पर रखें
सदा परमात्मा
जगदीश मनीष।
बढ़ेगा देश -विदेश में
तेरे कुल का मान।
पढ़-लिखकर जो बन जाएगा
तू पुत्र मेरे, वागीश।