आरक्षण
आरक्षण
आओ देखे इस देश की सच्चाई
हर ओर चलाती यहाँ नई लड़ाई।
कहीं तो राजनेताओं का जमावड़ा है
पर आपस में हर शख्श उलझा पड़ा है।
हर रोज सुबह से होड़ है लगती
हर आँख में एक नई आशा है सजती।
जी जान से हर कोई गोता लगाता
पर मोती तो बस कुछ के हाथ ही आता।
सोचो, ए से जेड तक की दौड़ लगाईं
पर अच्छे पद तो कुछ ही के हिस्से आई।
आम भाषा में तो यह किस्मत कहलाई
पर गौर से सोचो तो यह आरक्षण है भाई।
कहने को तो यह दलितों की लड़ाई
पर “सामान्य” पर सामत है लाई।
जब “सामान्य” 80 है लाता
तो दलित 40 से ही काम चलाता।
अदभूत खेल इस देश में देखो भाई
80 वाले ने रोटी खाई 40 पे तो मिली मलाई।
फिर भी यह किस्मत कहलाई
पर गौर से सोचो तो यह आरक्षण है भाई।