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आली रे आली ये दिवाली

आली रे आली ये दिवाली

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आली रे आली ये दिवाली

नहीं है अब ये दिलवाली

होंठों पे फरेबी मुस्कान

और जेब है खाली

पटाखो की जगह अब

बजा रहे हैं हाथों से ताली

वाह ये तो है गजब वाली

काली-काली रातें

वो अमावस्या वाली

रोशन करने को जलाते हैं

लड़ी वो दियों वाली लेकिन

मन मे है अँधेरा और

लगता है सब खाली-खाली

पूजा पाठ भी रह गई है अब

बात रस्म अदायगी वाली

नहीं आती किसी पड़ोसी के यँहा से

वो खीर बताशों की थाली

चला है नया चलन और भेड़ चाल

दिवाली रह गई है गिफ्ट वाली

नहीं है इसमे कोई बात शगुन वाली

वाह रे वाह नई ट्रेंड वाली दिवाली

आली रे बाबा आली ये दिवाली...!


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