आखरी मुलाकात
आखरी मुलाकात
ये एक सीमा पर शहीद हुए जवान की पत्नी की आखिरी मुलाकात का वर्णन है।
भोर की आहट पा अश्रु बिन्दु पोंछ, दफन कर लिए सब सपने ।
मन गिरह को कस के बांध, लिया थाम हृदय बांध को अपने ।
राह में खड़े होकर थरथराते कदमों से, तेरा इंतजार किया ।
सनम हमने भी तो दिलोजान से, आपके ही सपने को प्यार किया।
पत्तों से लिपटी ओस जब, सूर्योदय की रश्मि से है पूछती ।
आखिर हमारे प्यार की, क्यों है आखिरी मुलाकात बस इतनी।
कैसे कह दूं उन से होते रात मिलती हूं और यादों में बात भी करती ।
मुन्नी बड़ी पूछती पापा को, मेरे संग ही है लिपट कर सोती ।
क्या जवाब दूं? उस नन्हे को जिसने अभी पेट में ही ली है अंगड़ाई ।
मुझे देख-देख कर ही मां बापू, तेरे भाई बहन की आंख भर आई ।
आज शहीद की ब्याहता है रही कर , हिय करुण दारुण चीत्कार ।
वीरांगना बन ठान ली है, अब वही बनेगी इस घर की सृजनहार ।
वह आखिरी शब्द जब फोन कट गया था करते तुम से बात ।
आज भी याद है तुमसे वह, मेरी आखिरी ही थी मुलाकात ।