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Dr. Vijay laxmi

Tragedy Inspirational

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Dr. Vijay laxmi

Tragedy Inspirational

आखरी मुलाकात

आखरी मुलाकात

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ये एक सीमा पर शहीद हुए जवान की पत्नी की आखिरी मुलाकात का वर्णन है।


भोर की आहट पा अश्रु बिन्दु पोंछ, दफन कर लिए सब सपने ।

मन गिरह को कस के बांध, लिया थाम हृदय बांध को अपने ।


राह में खड़े होकर थरथराते कदमों से, तेरा इंतजार किया ।

सनम हमने भी तो दिलोजान से, आपके ही सपने को प्यार किया।


पत्तों से लिपटी ओस जब, सूर्योदय की रश्मि से है पूछती ।

आखिर हमारे प्यार की, क्यों है आखिरी मुलाकात बस इतनी।


कैसे कह दूं उन से होते रात मिलती हूं और यादों में बात भी करती ।

मुन्नी बड़ी पूछती पापा को, मेरे संग ही है लिपट कर सोती ।


क्या जवाब दूं? उस नन्हे को जिसने अभी पेट में ही ली है अंगड़ाई । 

मुझे देख-देख कर ही मां बापू, तेरे भाई बहन की आंख भर आई ।


आज शहीद की ब्याहता है रही कर , हिय करुण दारुण चीत्कार ।

वीरांगना बन ठान ली है, अब वही बनेगी इस घर की सृजनहार ।


वह आखिरी शब्द जब फोन कट गया था करते तुम से बात ।

आज भी याद है तुमसे वह, मेरी आखिरी ही थी मुलाकात ।



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