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Hariom Kumar

Romance

3  

Hariom Kumar

Romance

आज देखा मैंने उसे

आज देखा मैंने उसे

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आज देखा मैंने,उसे खुद से कुछ दूर,चहकती हुई,

सावन की पहली बारिश में नहाती हुई,

खुली सड़क, खुले आसमान के नीचे,

सरपट अपनी स्कूटी को दौड़ाती हुई,

खुले,भींगे जुल्फों को लहराती हुई,


आज देखा उसकी हँसी , उसकी असली हँसी को,

उसके लबों पर खिलखिलाते हुए,

जो न मालूम, कब और कहां खो सी गई थी,

उसके बचपने को गाते-नाचते हुए,

उस बचपने को, जिसे शायद उसने खुद ही,

मार डाला था, जवानी की दहलीज पर कदम रखने के बाद,


आज देखा मैंने उसे, बारिश में ,

अपने खोए हुए खुद को फिर से ढ़ूढ़ते हुए,

बेपरवाह, दुनियां की फिकर से खुद को आजाद कर,

एक बार फिर से, खुशियां बटोरते हुए,

आज देखा मैंने उसे, बारिश में नहाते हुए,

आज देखा मैंने उसे, वर्षों बाद..., 

वर्षों बाद फिर से जिंदगी जीते हुए


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