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Hariom Kumar

Romance

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Hariom Kumar

Romance

अमानत

अमानत

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नहीं मालूम है तुमको, तुम कितनी खुबसूरत हो,

कि मानो या ना मानो तुम, सनम मेरी जरूरत हो,


इक खिलती कली हो तुम,पुनम की चांदनी हो,

बहारों में पली हो तुम महकती रागिनी हो,


तुम इक सजती सुबह हो, सुहानी शाम हो तुम,

है गुंजीत जिस से ये जीवन, मधुर पयाम हो तुम,


है सच तुम फूल हो नाजुक मगर मेरे दिल की चाहत हो,

करो विश्वास जो मेरा, सनम मेरी अमानत हो।


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