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Hariom Kumar

Others

2.5  

Hariom Kumar

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गांव

गांव

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याद बहुत आता है अक्सर मुझको मेरा गांव,

हरे भरे वो खेत बगीचे और बरगद की छांव,


प्यार से सबका घुल-मिल रहना, ना कोई प्रपंच,

सुख-दुख सबका संग में सहना,ना इर्ष्या के भाव,


कच्ची सड़क, झोपड़े कच्चे,पर जुबान के पक्के लोग,

दिल के साफ और सच्चे लोग, ना कोई छल का दांव,


यहां शहर में सब बेगाना, मधुर लगे ना कोई तराना,

वहां मधुर लगती थी कितनी कौओं की भी कांव,


दूर-दूर से भी था नाता, था कोई चाचा,था कोई मामा,

यहां बगल के घरवाला भी तनिक न देता भाव,


जिंदगी थोड़ी उल्टी दौड़ती,गांव को जाना मुमकिन करती,

काश कहीं फिर से मिल जाता वही पुराना ठांव,


याद बहुत आता है अक्सर मुझको मेरा गांव,

हरे भरे वो खेत बगीचे और बरगद की छांव.।


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