प्यार
प्यार
जिस्म ही जिस्म की बस जरूरत रही,
दिल के जज़्बात अब सारे बेकार हैं,
सात जन्मों की अब कौन बातें करे,
सात दिन में नया एक संसार है,
थोड़ा मन को टटोलो , बताओ मुझे,
ये जो करते हो तुम, क्या यही प्यार है ?
इक नज़र में हां सूरत कोई देख ली,
पल में कह भी दिया हां मुझे प्यार है,
चार दिन मिल लिए सारी बंदिश मिटा,
पांचवें दिन खड़ी कर ली दीवार है,
यूं जो बिस्तर की सिलवट पे दम तोड़ दे,
कैसी चाहत है बोलो ये क्या प्यार है,
नैन से जो गुज़र रुह में जा बसे,
वो ही हमदम है बस वो ही दिलदार है,
सुख में दुःख में सदा तेरे शामिल रहे,
ऐसी चाहत का कायल ये संसार है,
गर हो गंगा सा पावन तभी प्यार है,
प्यार निश्छल है, हर धर्म का सार है।